कलम

सन 2005 तब मै सातवीं में था और नानी के घर पे रहता था | मम्मी की बहन यानि मौसी भी आयी हुई थी | कुछ दिन रहने के बाद वो अपने घर पटना यानी की ससुराल जा रही थी | चुकी उस गांव से अभी भी कोई  direct साधन नहीं है  ,तो वहां से 3 KMचलने  के बाद लखना से टेम्पो पकड़ना पड़ता है | इसलिए मै भी साथ निकल पड़ा मौसी का झोला लेके ,मेरा काम था की उनको टेम्पो में बैठने के बाद मै वापस गांव में आ जाता | लखना जाने के बाद पता चला की कोई टेम्पो ही नहीं है जाने के लिए | अब इसके लिए हमे 4 KMऔर चलके जाना है बेलदारीचक और वहां से टेम्पो पकड़ना है , चुकी जाना तो था ही , फिर से निकल पड़े बेलदारीचक के लिए |

उस समय तक मुझे ये पता था की , घर में कोई भी रिश्तेदार आते है तो जाते समय घर के बच्चो को कुछ पैसे देते है | ऐसा मेरे साथ बहुत बार हो चूका था , पर मै हर बार पैसे लेने से मना करता था | मेरे पेरेंट्स ने सिखाया था की कोई अगर पैसे दे तो , कभी भी पैसे नहीं लेना ये अच्छी आदत नहीं  है | और ये बात मुझे भी उस समय अच्छी लगती थी खुद पे PROUD होता था की मैंने पैसे नहीं लिए और बाकि लोगो के लिए मै एक अच्छा लड़का हूँ |
पर उस दिन मै जान बुझ कर जा रहा था की मुझे बस आज कुछ पैसे मिल जाए | कारण ये था की मेरे पास कलम नहीं थे अगले दिन स्कूल जाने के लिए | कलम गुम करने की आदत तो आज भी है , बस फर्क ये है की आज ज्यादा दुःख नहीं होता है | खैर , ऐसा नहीं था की घरवालों के पास पैसे नहीं थे , बस महीने में २-३ बार कलम के लिए पैसे मांगने में I don't know, but i couldn't that time |

खैर टेम्पो के पास पहुंचने के बाद मौसी ने 5 रुपये का नोट बढ़ाया और मैंने चुप-चाप ले लिया | मन  ही मन बहुत  खुश हुआ की आज तो मै MONTEX की कलम लूंगा , बहुत Agni Gel से लिख लिया मैंने , ये ज्यादा दिन चलता नहीं है और उसकी निब भी जल्दी निकल जाती है |


मोंटेक्स उस समय की लोकप्रिय कलम थी जैसे २०१० में  में नोकिआ , रुफ्फ़ एंड टफ़्फ़ |




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